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यों तो ख़ुशी के दौर भी होते है कम नहीं / गुलाब खंडेलवाल
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21:07, 9 जुलाई 2011
यों तो ख़ुशी के दौर भी होते है कम नहीं
ऐसा है कौन, दिल में मगर जिसके
गम
ग़म
नहीं!
हम हैं कि जी रहे हैं हरेक झूठ को सच मान
बेबस हो तू भले ही मगर बेरहम नहीं
यह साज़ बेसुरा भी ग़नीमत है
दोस्तों
दोस्तो
!
कल लाख पुकारे कोई, बोलेंगे हम नहीं
Vibhajhalani
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