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फिर इस दिल के मचलने की कहानी याद आती है / गुलाब खंडेलवाल
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21:10, 9 जुलाई 2011
भुला पाता नहीं मैं पोंछना काजल पलक पर से
लटें आवारा उस
रुख
रुख़
से हटानी, याद आती है
कभी गाने को कहते ही, लजा कर सर झुका लेना
गुलाब! अब भी किसीकी आनाकानी याद आती है
<poem>
Vibhajhalani
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