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शाम का वक्त है शाखों को हिलाता क्यों है/ कृष्ण कुमार ‘नाज़’
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09:27, 10 जुलाई 2011
शाम का वक़्त है शाख़ों को हिलाता क्यों है
:
तू थके माँदे परिंदों को उड़ाता क्यों है
स्वाद कैसा है पसीने का ये मज़दूर से पूछ
:
छाँव में बैठके अंदाज़ा लगाता क्यों है
Krishna Kumar Naaz
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