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अनन्त आलोक
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,
14:08, 13 जुलाई 2011
/* शीर्षक */
मुक्तक
अब आदमी का इक नया प्रकार हो गया
,
आदमी का आदमी शिकार हो गया
,
जरुरत नहीं आखेट को अब कानन गमन की
,
शहर में ही गोश्त का बाजार हो गया |
अनंत आलोक
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