राष्ट्रीयता भारतीय
भाषा हिन्दी
बोली बुन्देली
काल आधुनिक काल
विधा हिन्दी और बुन्देली कविता, डायरी लेखन
विषय ग्राम्य जीवन,
साहित्यक जीवन की मौलिक अभिव्यक्ति
आन्दोलन राष्ट्रीय एकता सद्भावना यात्रा
जब रास्ता चैराहा पहन लेता है
मैं तुम सब
इनसे प्रभावित सर्वेश्वर दयाल सक्सेना, धूमिल, केदारनाथ सिंह,
समकालीन हरिवंशरायबच्चन, बालकृष्ण शार्मा नवीन, सोहनलाल द्धिवेदी, नार्गाजुन, त्रिलोचन शास्त्री, बशीर बद्र
2000 मैं तुम सब,
2001 एक लंगोटी बारो गांधी जी पर लोक शैली में गीत(बुन्देली और हिन्दी),
'''अनुवाद'''
1994 मध्यप्रदेश संस्कृत अकादेमी, भाषान्तर कवि समवाय द्वारा प्रकाशित काव्य संग्रह में संस्कृत में अनुवाद
'''हिन्दी लेखन डायरी'''
'''लोक संस्कृति'''
राजा हरदौल बुन्देला(बुन्देली नाटक)बुन्देलखण्ड के संस्कार गीत(आदिवासी लोक कला परिषद्,भोपाल द्वारा प्रकाशित)
एक अध्यापक की डायरी (मध्यप्रदेश संदेश में धारावाहिक प्रकाशित)
'''लोक संगीत रूपक'''
बेला नटनी (बुन्देली संगीत रूपक)(आकाशवाणी छतरपुर से प्रसारित)
नौरता (बुन्देली संगीत रूपक)(आदिवासी लोक कला परिषद्,भोपाल द्वारा प्रकाशित)
बुन्देलखण्ड के लोक नृत्य राई पर शोध-मानोग्राफ(आदिवासी लोक कला परिषद द्वारा प्रकाशन)
देश के काजें बांध कें फैंटा सज कें चल दो मामुलिया
मामुलिया तोरे आ गये लिबौआ ढुड़क चलो मोरी मामुलिया।
मामुलिया तोरो गांव हिमालय जहां सें आये लिबौआ।
रनभेरी बज उठी लराई कौ तोरो आव बुलौआ।
सजग करो। घर-घर के बीरन दश की प्यारी मामुलिया।
उमड़-घुमड़ कें बनकें बिजुरिया दमक चलो मोरी मामुलिया।
2 <poem>झर गई चम्पा झर गई बेला</poem>-नीला बिरछा,माधव शुक्ल‘मनोज