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तेरी अदाओं का हुस्न तो हम छिपाके ग़ज़लों में रख रहे हैं / गुलाब खंडेलवाल
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19:46, 13 जुलाई 2011
तो हम भी तेरे ही दिल का सरगम छिपाके ग़ज़लों में रख रहे हैं
भले ही दामन छुड़ा रही अब फिराके मुँह
बेवफा
बेवफ़ा
जवानी
हसीन रंगों का हम वो मौसम छिपाके ग़ज़लों में रख रहे हैं
Vibhajhalani
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