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क्रमश: तारक द्युतिहीन, लीन स्वर-मधुप-वृन्द / प्रथम खंड / गुलाब खंडेलवाल
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20:02, 13 जुलाई 2011
गौरांग, स्वस्थ, तप-पूत, ज्योति के सायक-से
पुरुषोत्तम सर्व-गुणोपम, विश्व-विधायक-से
वन मध्य खड़े थे गौतम ऋतुपति-नायक-से
कंपित लतिका के भाव-सुमन सुख-दायक-से
चरणों पर बिखर रहे थे
Vibhajhalani
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