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भावी का धनुष-भंग, सीता-राघव-विवाह / द्वितीय खंड / गुलाब खंडेलवाल
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20:24, 13 जुलाई 2011
अब रहा न तेरी पावनता में मीन-मेष
बीती
तम
दुख
की
दुःख
तम
-निशा, सुखों का प्रात देख
मुनि-रोषानल में तप कर निर्मल कनक-रेख,
पढ़ आज, अहल्ये! नूतन जीवन-भाग्य-लेख
जो तेरे हित लाया हूँ’
<poem>
Vibhajhalani
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