Changes

 
अब रहा न तेरी पावनता में मीन-मेष
बीती तम दुख की दुःखतम-निशा, सुखों का प्रात देख
मुनि-रोषानल में तप कर निर्मल कनक-रेख,
पढ़ आज, अहल्ये! नूतन जीवन-भाग्य-लेख
जो तेरे हित लाया हूँ’
<poem>
2,913
edits