Changes

सुरभि, पँखुरियों का उन्मीलन, सबने मुग्ध नयन से देखा
सींचा पाटल-मूल किसी नेकिसीने, लांघ लाँघ कुटिल काँटों की रेखा!
वह तो करुणा-दृष्टि तुम्हारी, अनल-शिखा जलधार बन गयी
2,913
edits