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बहुत हमने चाहा कि दिल भूल जाये / गुलाब खंडेलवाल
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13:39, 14 जुलाई 2011
तुम्हारी ही यादों की लौ जल रही थी
दिवाली के जब भी
दिए
दिये
जगमगाये
कभी अपने हाथों सँवारा था तुमने
गुलाब आज तक वैसे खिल ही न पाये
<poem>
Vibhajhalani
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