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मैं सौ बार मरूँ यदि मेरे मरने से भारत बचता है'
गदगद् गद्गद हो कर विश्व सुन रहा था यह अमर प्रेम की वाणी
हिन्दू-मुसलमान दोनों की आँखों से बहता था पानी
'बचें प्राण बापू के, भगवन!' कहीं नमाज़, कहीं थी पूजा
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