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हृदय में भीति सत्ता के जगी थी / एकादश सर्ग / गुलाब खंडेलवाल
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21:14, 14 जुलाई 2011
उन्हें जब मोहिनी बस कर न पायी
नये अंदाज़ से वह मुस्कुरायी
दिये यों तो सभी सुख-
साज
साज़
उसने
छिपाकर रख लिया पर ताज उसने
Vibhajhalani
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