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थककर सोयी थी भारत-भू / द्वादश सर्ग / गुलाब खंडेलवाल
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21:16, 14 जुलाई 2011
पर कौन बनेगा सह्भोगी!
'
सबको तो देते रहे तोष
बापू 'बा' का भी रहा होश!'
'बा' रो-रोकर ज्यों कहती थी
आये बापू को याद तभी
वे एक-एककर दृश्य सभी
लघुवयस,
शोखियों भरी
शोख़ियोंभरी
, चपल,
जब प्रिया प्राण करती चंचल
Vibhajhalani
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