Changes

New page: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=घनानंद }} :::::'''सवैया'''<br><br> पहिले घन-आनंद सींचि सुजान कहीं ब...
{{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=घनानंद
}}
:::::'''सवैया'''<br><br>
पहिले घन-आनंद सींचि सुजान कहीं बतियाँ अति प्यार पगी।<br>
अब लाय बियोग की लाय बलाय बढ़ाय, बिसास दगानि दगी।<br>
अँखियाँ दुखियानि कुबानि परी न कहुँ लगै, कौन घरी सुलगी।<br>
मति दौरि थकी, न लहै ठिकठौर, अमोही के मोह मिठामठगी।। 10 ।।<br>
Anonymous user