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मेरे मन से कृतित्व का मोह हटा दे; / गुलाब खंडेलवाल
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21:00, 16 जुलाई 2011
भूतियों का आवरण भेदकर
मैं तेरी पराविभूति के दर्शन कर सकूँ
सत्य की
यही
वही
प्रतीति करा दे.
<poem>
Vibhajhalani
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