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अस्वीकरण
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सीढ़ियाँ / गुलाब खंडेलवाल
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,
21:18, 16 जुलाई 2011
अथवा एक ही घर में,
ऊपर नीचे के गोल चक्कर में
घूमती रही
है
हैं
, जैसे
कोल्हू में जुते भैंसे
<poem>
Vibhajhalani
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