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विश्वास / सुरेश यादव

597 bytes removed, 15:16, 19 जुलाई 2011
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तुम्हारी कविता मेंमन होता जबबहुत बारउदासहथेलियों के बीच…कविता पास आ जातीमरी तितलियों का रंग उतरता हैअनायासबहुत बार
तुम्हारी कविता में रंग भरता है
ऊंचे
चिड़िया मासूम कोई जब
बाज़ के पंजों में समाती है
शब्दों की बहादुरी
तुम्हारी कविता में भर जाती है
मेरी संवेदना
जाने क्यों
इन पन्नों पर जाती हुई
शर्माती है।
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