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रात यदि श्याम नहीं आये थे / गुलाब खंडेलवाल
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19:26, 19 जुलाई 2011
गूँज रहा अब भी वंशी-स्वर
मुख-सम्मुख उड़ता पीताम्बर
किसने
फी
फिर
वे रास मनोहर
वन में रचवाये थे!
Vibhajhalani
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