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निर्वेद / गुलाब खंडेलवाल

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यह तो कहो मरने के बाद कहाँ जायें!
इतना कुछ लेकर क्या शून्य में समायें!
सोयें क़यामत तक, या उठकर भाग आयें!
कोई ख़बर मिलती नहीं उस पार की
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