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अपने जीर्ण-शीर्ण वस्त्रों में सिमटी-सकुची
मेरी काया
अपने आप से ही मुँह चुराने लगी.
वहाँ किसी के गले में मोतियों का हार था
और किसी की उँगलियों में
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