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तभी डूबते को कहीं दूर पर (तीसरा सर्ग) / गुलाब खंडेलवाल
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21:07, 20 जुलाई 2011
सहारे-सा तिनके का आया नज़र
रुका अजनबी एक आ मेरे पास
कहा-'मैं मिला दूंगा, मत
हों हतास
हों हताश
'
जहां आपके दिल की मलिका गयी
न मुझसे छिपी राह उस गाँव की
Vibhajhalani
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