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नहीं है नया हमारा प्यार / गुलाब खंडेलवाल
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21:28, 20 जुलाई 2011
नहीं है नया हमारा प्यार
पहले
ही
से
ही
बसी हुई थी तारों में झंकार
जड़ पाषाण-खंड के भीतर
प्राणों के अविदित परिचय में
घुमड़ रहा था प्रेम हृदय में
मैंने बस
बांधा
बाँधा
सुर-लय में
नयन हुए जब चार
Vibhajhalani
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