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कश्मीर / गुलाब खंडेलवाल

No change in size, 20:26, 21 जुलाई 2011
एक प्याली शराब की-सी है
चाँद का रूप, रंग केसर का
पंखडी पंखड़ी ज्यों गुलाब की-सी है
. . .
चोटियों पर हँसी चमक उठती
शून्य में पायलें झमक उठातींउठतीं
दुग्ध-से गौर निर्झरों के बीच
देह की द्युति-तड़ित दमक उठती
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