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रेत पर चमकती मणियाँ / गुलाब खंडेलवाल
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20:56, 21 जुलाई 2011
*[[पहले तो जीवन के अनमोल मोती / गुलाब खंडेलवाल]]
*[[अपने कुल की मर्यादा भुलाकर / गुलाब खंडेलवाल]]
*[[
जहर
ज़हर
को पीना ही नहीं, पचाना पड़ता है, / गुलाब खंडेलवाल]]
*[[यदि बचपन में बाँधी प्रेम की डोर / गुलाब खंडेलवाल]]
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Vibhajhalani
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