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मेरा तो लघु तारा / गुलाब खंडेलवाल
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21:07, 21 जुलाई 2011
संध्या-वेला,
लहरों-सा सुख-
दुःख
दुख
मैंने सब झेला
सबसे खेला
देख चुका अपनों की भी अवहेला,
Vibhajhalani
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