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कितने बंधु गये उस पार! / गुलाब खंडेलवाल
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22:25, 21 जुलाई 2011
विरह अनंत, मिलन दो दिन का
शोक यहाँ
करिए
करिये
किन-किन का!
उड़-उड़ जाता कर का तिनका
आँधी से हर बार
Vibhajhalani
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