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23:03, 21 जुलाई 2011 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=वत्सला पाण्डे
|संग्रह=
}}
{{KKCatKavita}}<poem>वह सुनता है
प्रार्थना
खाली नहीं लौटाता
कभी
प्रार्थित हाथ
पर
क्या जानते हैं
वे हाथ
प्र्रार्थना हो सके थे
स्वयं भी
किसी एक पल में
</poem>
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