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अब हमारे वास्ते दुनिया ठहर जाये तो क्या! / गुलाब खंडेलवाल
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19:39, 22 जुलाई 2011
अब इन्हें गाये तो क्या! कोई नहीं गाये तो क्या!
हर नए मौसम में खिलते हैं
नए
नये
रँग में गुलाबएक दुनिया को नहीं भाये तो क्या, भाये तो
कया
क्या!
<poem>
Vibhajhalani
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