गृह
बेतरतीब
ध्यानसूची
सेटिंग्स
लॉग इन करें
कविता कोश के बारे में
अस्वीकरण
Changes
अब हमारे वास्ते दुनिया ठहर जाये तो क्या! / गुलाब खंडेलवाल
3 bytes added
,
19:39, 22 जुलाई 2011
अब इन्हें गाये तो क्या! कोई नहीं गाये तो क्या!
हर
नए
नये
मौसम में खिलते हैं नये रँग में गुलाब
एक दुनिया को नहीं भाये तो क्या, भाये तो क्या!
<poem>
Vibhajhalani
2,913
edits