गृह
बेतरतीब
ध्यानसूची
सेटिंग्स
लॉग इन करें
कविता कोश के बारे में
अस्वीकरण
Changes
नहीं कोई भी मरने के सिवा अब काम बाक़ी है / गुलाब खंडेलवाल
3 bytes added
,
19:57, 22 जुलाई 2011
उमड़ आते हैं झट आँसू, कलेजा मुँह को आता है
उसे
होठों
होँठों
पे मत लाओ जो कोई नाम बाक़ी है
नहीं आया ज़वाब उनका तो हम ख़ुशकिस्मती समझे
Vibhajhalani
2,913
edits