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आज हो चाहे दूर भी जाना, मेरे साथी मेरे मीत!/ गुलाब खंडेलवाल
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20:17, 22 जुलाई 2011
यों तो हरेक झोंके से हवा के, प्यार की ख़ुशबू आती थी
दिल ने
तुम्ही को
तुम्हींको
एक था माना, मेरे साथी, मेरे मीत!
मिल भी गए फिर आते-जाते, मिलके निगाहें फेर भी लो
गंध गुलाब की भूल न जाना, मेरे साथी, मेरे मीत!
<poem>
Vibhajhalani
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