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लोकायत / कुमार मुकुल

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|रचनाकार=कुमार मुकुल
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शरीर
तू है
तो आत्मा की
जय जय है

जो तू न हो तो
कोई कैसे कह सकता है
कि आत्मा
क्या शै है ...
</poem>