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माँ का दर्द.../ भावना कुँअर

3 bytes added, 11:54, 8 अगस्त 2011
क्या लिखूँ?
समझ नहीं आता
कलम है जो रूकरुक-रूक ्रुक जाती है...
और आँसू
जो थमने का नाम ही नहीं लेते...