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हाइकु नवगीत / जगदीश व्योम
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13:45, 10 अगस्त 2011
इंसां रोता है
जन
-
संशय
त्रासदी ओढ़कर
आगे आया है
महानाश का
विकट राग फिर
युग ने
देखो
गाया है
पल में नाश
पागल आंधी
आज उगाने
होंगे
-
होंगे
घर
-
घर में
युग के गांधी
वीरबाला
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