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उस नज़र पे छाये हुए और सौ गुलाब / गुलाब खंडेलवाल
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20:22, 11 अगस्त 2011
उस नज़र पे छाये हुए और सौ गुलाब
लीजिये
लीजिए
हैं आये हुए और सौ गुलाब
क्या करें जो दिल को तुम्हीं एक भा
गए
गये
यों तो थे सजाये हुए और सौ गुलाब
खिल रहे लजाये हुए और सौ गुलाब
हम नहीं रहे तो क्या बहार मिट गयी
!
बाग़ था छिपाए हुए और सौ गुलाब
<poem>
Vibhajhalani
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