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उसी तरह से हर इक ज़ख़्म ख़ुशनुमा देखे / परवीन शाकिर
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17:08, 29 जुलाई 2007
बस एक रेत का ज़र्रा बचा था आंखों में
अभी तलक जो मुसाफ़िर
कारास्तादेखे
का रास्ता देखे
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Lina niaj