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ज़माने भर की निगाहों से टालकर लाये / गुलाब खंडेलवाल
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17:32, 12 अगस्त 2011
फ़िज़ा बहार की तुझसे ही सज रही है, गुलाब!
भले ही फूल कई मुँह
को
भी
लाल कर लाये
<poem>
Vibhajhalani
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