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दिये तो हैं रोशनी नहीं है, खड़े हैं बुत ज़िन्दगी नहीं है / गुलाब खंडेलवाल
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17:37, 12 अगस्त 2011
दिये तो हैं रोशनी नहीं है, खड़े हैं बुत ज़िन्दगी नहीं है
ये कैसी मंज़िल पे आ गए हम
,
कि दोस्त हैं, दोस्ती नहीं है
चमक रहे हैं हज़ारों तारे, भले ही हैं चाँद और सूरज
Vibhajhalani
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