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उस पार / गोपाल सिंह नेपाली
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19:46, 12 अगस्त 2011
तप रही धरा यह प्यासी भी होगी
फिर चारों ओर उदासी भी होगी
प्यासे जग ने माँगा होगा
पनी
पानी
करता होगा सावन आनाकानी
उस ओर कहीं छाए होंगे बादल
अनिल जनविजय
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