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नैनीताल / बल्ली सिंह चीमा

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'''यह कविता अधूरी है। कृपया आपके पास हो तो इसे पूरा कर दें।''' अब यहाँ पल में वहाँ कब किस पे बरसें क्या ख़बर,बदलियाँ भी लोग करते हैं फ़रेबी यार बहुत तारीफ़ नैनीताल की !चल मनाएँगे वहीं पर छुट्टियाँ इस साल की ।
लोग रोनी सूरतें लेकर यहाँ आते नहीं,
झिलमिलाती, गुनगुनाती झील नैनीताल की !
खूबसूरत अब यहाँ, पल में वहाँ, कब किस पे बरसें, क्या ख़बर,बदलियाँ भी हैं फ़रेबी यार नैनीताल की ! ख़ूबसूरत जेब हो तो हर नगर सुन्दर लगे,
जेब खाली हो तो ना कर बात नैनीताल की !
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