Changes

नया पृष्ठ: <poem> आज भी रोये वन में कोयलिया चंपा कुञ्ज में आज गुंजन करे भ्रमरा -क…
<poem>
आज भी रोये वन में कोयलिया
चंपा कुञ्ज में आज गुंजन करे भ्रमरा -कुहके पापिया
प्रेम-कुञ्ज भी सूखा हाय!
प्राण -प्रदीप मेरे निहारो हाय!

कहीं बुझ न जाय विरही आओ लौट कर हाय!
तुम्हारा पथ निहारूं हे प्रिय निशिदिन
माला का फूल हुआ धूल में मलिन

जनम मेरा विफल हुआ
</poem>
Mover, Reupload, Uploader
119
edits