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अरुणकांत जोगी भिखारी तुम हो कौन / काजी नज़रुल इस्लाम
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18:15, 19 अगस्त 2011
मैं नहीं हूँ पार्वती , मैं श्रीमती
विष तज कर बनो बांसुरी धारी
'''मूल बंगला से अनुवाद : अनामिका घटक'''
'''अब यही कविता मूल बंगला में पढ़िए'''
अनिल जनविजय
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