2,305 bytes added,
16:25, 29 अगस्त 2011 हे अज्ञात विधाता तुझे प्रणाम|<br />
ना रूप तेरा, ना रंग तेरा, <br />
ना जानू तेरा नाम||<br />
हे अज्ञात विधाता तुझे प्रणाम...<br />
<br />
कठिन वक्त में आता है तू, सच्ची राह दिखाता है तू|<br />
हम से जो हो पाए न सम्भव, चुटकी में कर जाता है तू|<br />
अहंकार मिटता है जहाँ पे, वहीं है तेरा धाम||<br />
हे अज्ञात विधाता तुझे प्रणाम...<br />
<br />
हार्डवेयर जो मढ़ा है तूने, उसकी कोई होड़ नहीं है|<br />
सॉफ़्टवेयर जो गढ़ा है तूने, उसकी कोई तोड़ नहीं है|<br />
कितने फीचर, कितने फँक्शन, करता सारे काम||<br />
हे अज्ञात विधाता तुझे प्रणाम...<br />
<br />
सुना है धरती, अम्बर, पानी, अग्नि, हवा सब तुझसे हैं|<br />
सुख-दुख, अच्छा-बुरा, गतागत, हानि-ऩफा सब तुझसे हैं|<br />
सृष्टि के सारे करतब, तुझसे पाते अंजाम||<br />
हे अज्ञात विधाता तुझे प्रणाम...<br />
<br />
ढाई आखर का तेरा मोबाइल नम्बर है जाहिर|<br />
कइयों फोन अटेंड करे - इक साथ, कौन - तुझ सा माहिर|<br />
तेरा ओफिस चले रात दिन, सुबह हो या फिर शाम||<br />
हे अज्ञात विधाता तुझे प्रणाम...<br />
<br />
हार्डवेयर - मानव शरीर<br />
सॉफ़्टवेयर - मानव मस्तिष्क<br />
ढाई आखर = प्रेम<br />