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16:27, 29 अगस्त 2011 तुझसे बातें करने तेरे दर पे आया हूँ<br />
साईं मुझको गले लगा ले, मैं न पराया हूँ<br />
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ज्ञान की ज्योत जला, मन का अन्धकार हटाया है<br />
श्रद्धा और सबूरी का रसपान कराया है<br />
कुछ भी नहीं इन्साँ की हस्ती, तूने बताया है<br />
कितना गरूर भरा था मन में, तूने मिटाया है<br />
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तेरे चरनों में अर्पित करने, वो ही सर लाया हूँ<br />
साईं मुझको गले लगा ले, मैं न पराया हूँ<br />
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मन का मैल मिटा कर इसमें, तुझे बिठाऊं मैं<br />
तेरी महिमा सुनूँ, सुनाऊँ, हर दम गाऊँ मैं<br />
सुनूँ तजुर्बे औरों के, अपने भी सुनाऊँ मैं<br />
कम से कम इक बार बरस में, शिर्डी जाऊँ मैं<br />
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साईं तू मेरा तन है, मैं तेरी छाया हूँ<br />
साईं मुझको गले लगा ले, मैं न पराया हूँ<br />
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अच्छा - बुरा, सबल और निर्बल, निर्धन या धनवान<br />
राजा हो या रंक सभी हैं तेरे लिये समान<br />
सबके सब तेरे अपने हैं, तू सबका भगवान<br />
तेरी क्रपा द्रश्टि का अधिकारी है हर इन्सान<br />
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यही भरोसा ले के तुझसे मिलने आया हूँ<br />
साईं मुझको गले लगा ले, मैं न पराया हूँ<br />
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