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नया पृष्ठ: पहले से ही था क्षोभ ग्रस्त<br /> अत्याचारों से हुआ त्रस्त<br /> जब आम आदम…
पहले से ही था क्षोभ ग्रस्त<br />
अत्याचारों से हुआ त्रस्त<br />
जब आम आदमी हुआ व्यस्त<br />
तब आयी ये पन्द्रह अगस्त<br />
<br />
बलिदानी थे, थे वरद हस्त<br />
विख्यात हुए, कुछ रहे अस्त<br />
जब चले साथ मिल, सर परस्त<br />
तब आयी ये पन्द्रह अगस्त<br />
<br />
जब हुआ क्रान्ति का पथ प्रशस्त<br />
मतभेद हुए सारे निरस्त<br />
घातक मनसूबे हुए ध्वस्त<br />
तब आयी ये पन्द्रह अगस्त<br />
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जुङ गये वीर बांके समस्त<br />
घर घर से होने लगी गश्त<br />
चुन चुन मारे फिरका परस्त<br />
तब आयी ये पन्द्रह अगस्त<br />
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सब चेहरे दिखने लगे मस्त<br />
परचम लहराने लगे हस्त<br />
जब अंग्रेजों को दी शिकस्त<br />
तब आयी ये पन्द्रह अगस्त<br />
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है प्रगतिशील हर एक दस्त<br />
है हिन्द विश्व से फिर बवस्त<br />
हैं नीति हमारी सुविश्वस्त<br />
बस याद रहे पन्द्रह अगस्त<br />