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<Poem>
'''आओ अब सौगंध यह खायें।
नारी का सम्मान हो नितप्रति।
जननी,गो और मातृभक्ति हो।
पर सर्वोपरि राष्ट्रंभक्ति राष्ट्रभक्ति हो।
भाषा के प्रति प्रीत बढ़ायें।।
'''धरती को हम स्वर्ग बनायें।।'''
'''धरती को हम स्वर्ग बनायें।।'''
षड्रिपु षड् रिपु औ त्रिदोष सब भागें।
वहीं सवेरा जब हम जागें।
ना निसर्ग से करें छलावा।