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वन,उपवन,कानन सब झूमें।
नभ-जल-थल के प्राणी झूमें।
महाशक्ति का स्वाप्न स्वप्न सजायें।।
'''धरती को हम स्वर्ग बनायें।।'''
राजनीति‍ या कूटनीति‍ हो।
न्याय मि‍ले बस ना अनीति‍ हो।
घर ,समाज ,जनपद सब गायें।।
'''धरती को हम स्वर्ग बनायें।।'''