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प्यारे किस के लिये लिखते हो / नवीन सी. चतुर्वेदी
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07:36, 30 अगस्त 2011
आपस में अपना ज्ञान परस्पर बाँट, बनें हम विज्ञानी<br />
मंशा अपनी है यही फकत, हठ कहो इसे, या मनमानी<br />
<poem>{{KKCatKavita}}</poem>
Navincchaturvedi
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