{{KKGlobal}}{{KKRachna|रचनाकार=नवीन सी. चतुर्वेदी}}{{KKCatNavgeet}}<poem>चल चलें इक राह नूतन<br /><br />भय न किंचित हो जहाँ पर<br />पल्लवित सुख हो निरंतर<br />अब लगाएं हम वहीँ पर<br />बन्धु - निज आसन<br /><br />द्वेष - ईर्ष्या को न प्रश्रय<br />दुर्गुणों की हो पराजय<br />हो जहाँ बस प्रेम की जय<br />खिल उठे तन मन<br /><poem>{{KKCatNavgeet}}</poem>