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{{KKGlobal}}{{KKRachna|रचनाकार=नवीन सी. चतुर्वेदी}}{{KKCatKavita}}<poem>क़लम के जादूगर!<br />अच्छा है,<br />आज आप नहीं हो|<br /><br />अगर होते,<br />तो, बहुत दुखी होते|<br /><br />आप ने तो कहा था -<br />कि, खलनायक तभी मरना चाहिए,<br />जब,<br />पाठक चीख चीख कर बोले,<br />- मार - मार - मार इस कमीने को|<br /><br />पर,<br />आज कल तो,<br />खलनायक क्या?<br />नायक-नायिकाओं को भी,<br />जब चाहे ,<br />तब,<br />मार दिया जाता है|<br /><br />फिर जिंदा कर दिया जाता है|<br /><br />और फिर मार दिया जाता है|<br /><br />और फिर,<br />जनता से पूछने का नाटक होता है-<br />कि अब,<br />इसे मरा रखा जाए?<br />या जिंदा किया जाए?<br /><br />सच,<br />आप की कमी,<br />सदा खलेगी -<br />हर उस इंसान को,<br />जिसे -<br />मुहब्बत है,<br />साहित्य से,<br />सपनों से,<br />स्वप्नद्रष्टाओं,<br />समाज से,<br />पर समाज के तथाकथित सुधारकों से नहीं|<br /><br />हे कलम के सिपाही,<br />आज के दिन -<br />आपका सब से छोटा बालक,<br />आप के चरणों में -<br />अपने श्रद्धा सुमन,<br />सादर समर्पित करता है|<br /><poem>{{KKCatKavita}}</poem>